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उत्तरकाशी में कुदरत का कहर: बादल फटा, तबाही का मंजर

उत्तरकाशी में कुदरत का कहर: बादल फटा, तबाही का मंजर

5 अगस्त 2025 के दिन, दोपहर करीब 1:45 बजे, उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गाँव में अचानक तफानी क्लाउड‑बर्स्ट (अत्यधिक बारिश) हुई। इसके चलते खीर गंगा नदी का जलस्तर असामान्य रूप से उफान पर आ गया। केवल 34 सेकंड में तेज जलप्रवाह और मलबा गाँव में धुस गया, जिससे विनाश का मंजर पैदा हुआ

तेज बहाव ने 20‑25 होटल और होमस्टे, साथ ही कई घर, दुकानें और बाजार तहस‑नहस कर दिए

अनुमान है कि करीब 50–60 लोग लापता हैं, जिनमें से कई मलबे में दबे हो सकते हैं

अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, मगर संख्या बढ़ने की आशंका बनी हुई है

IIT scientist reveals disturbance that arose from Mediterranean Sea took a horrific form in Uttarkashi

उत्तरकाशी में आई आपदा का पैटर्न वर्ष 2013 में केदारनाथ में आई जल प्रलय की तरह ही था। दोनों घटनाओं की वजह भूमध्य सागर से उठने वाले पश्चिमी विक्षोभ का हिमालय से टकराना रहा है। जिससे बादल फटने की घटना ने विकराल रूप अख्तियार कर लिया। यह कहना है आईआईटी रुड़की के हाइड्रोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक प्रोफेसर अंकित अग्रवाल का।

उनका कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अब पश्चिमी विक्षोभ और मानसून आगे की तरफ शिफ्ट हो रहा है। 2013 में केदारनाथ में भी इसी तरह का पश्चिमी विक्षोभ का असर था, जो मंगलवार को उत्तरकाशी में था। 

IIT scientist reveals disturbance that arose from Mediterranean Sea took a horrific form in Uttarkashi

उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद तबाही – फोटो : पीटीआई

बता दें कि आईआईटी रुड़की के हाइड्रोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक जर्मनी की पॉट्सडैम यूनिवर्सिटी के साथ इंडो जर्मन परियोजना पर काम कर रहे हैं। जिसमें भारतीय हिमालयी क्षेत्र में प्राकृतिक खतरों (बादल फटने और अतिवृष्टि) का आकलन एवं भविष्यवाणी पर शोध किया जा रहा है। 

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IIT scientist reveals disturbance that arose from Mediterranean Sea took a horrific form in Uttarkashi

उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद तबाही, बचाव कार्य में जुटे जवान – फोटो : पीटीआई

जलवायु परिवर्तन इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार
प्रोफेसर अग्रवाल के मुताबिक जलवायु परिवर्तन इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार बन रहे हैं। भूमध्य सागर से उठने वाली हवाएं जब पश्चिम से पूरब की ओर चलती हैं तो हिमालय से टकराती हैं जिससे बादल फटने जैसी आशंका बढ़ जाती है। 

IIT scientist reveals disturbance that arose from Mediterranean Sea took a horrific form in Uttarkashi

उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद तबाही, घायलों का इलाज करते डॉक्टर – फोटो : पीटीआई

अब पश्चिम विक्षोभ का पैटर्न बदल रहा है और यह विक्षोभ मध्य भारत से हिमालय की तरफ खिंच रहा है। जो बड़ी मात्रा में अपने साथ नमी लेकर हिमालय की ओर बढ़ता है।

IIT scientist reveals disturbance that arose from Mediterranean Sea took a horrific form in Uttarkashi

उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद तबाही – फोटो : पीटीआई

इसी के चलते हिमालयी राज्यों उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू आदि में एक साथ सामान्य से अधिक वर्षा हो रही है। 25 साल पीछे की तरफ जाएं तो पश्चिमी विक्षोभ अक्तूबर से दिसंबर माह के बीच होते थे। लेकिन अब यह जून से अगस्त माह में ही सक्रिय होने लगे हैं। यह बदला हुआ पैटर्न प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से खतरे का संकेत है।

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